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Story for Kids - बकरी का बच्चा और उसके असली मालिक की कहानी

आज की इस कहानी मे  हमने एक बकरी के बच्चे की कहानी के बारे में बताया है। इस कहानी में एक दूसरा (चोर) व्यक्ति बकरी के बच्चे को उसके मालिक से चुरा लेता है और जब बकरी के बच्चे का असली मालिक उस पर अपना अधिकार बताता है तो वह व्यक्ति उससे कहता है "यह बकरी का बच्चा मेरा है, मेने इसे बचपन से पाला है"। यह सुनकर वह व्यक्ति क्या करता है जिससे उसका मेमना उसे मिल जाये। चलिए इस कहानी के माध्यम से जानते है -
Story for Kids - बकरी का बच्चा और उसके असली मालिक  की कहानी

बकरी का बच्चा और उसके मालिक  की कहानी 

एक राजा के राज्य में एक बकरी पालने वाला रहता था। वह रोजाना अपनी सभी बकरियों और उनके बच्चो को जंगलो में चराने के लिए जाता था। बकरी पालने वाला अपनी बकरियों से बहुत प्यार करता था। वह कभी भी उनको कसाई को नहीं बेचता था। उसी राज्य में एक चोर भी रहता था। चोर हमेशा उसकी बकरियों को चुराने के बारे में सोचता रहता था। फिर एक दिन रात के समय में चोर ने एक बकरी का बच्चा चुरा लिया और अपने घर लाकर रख लिया। अगले दिन जब चरवाहे (बकरी पालक) ने अपनी बकरियों की गिनती की तो उसे पता चला कि एक बकरी का बच्चा कम था। उसने उसे पूरे गांव में ढूंढ़ना शुरू कर दिया। थोड़ा खोजने के बाद उसने पाया की उसके बकरी के बच्चे को किसी ने अपने घर में रख रखा है। वह उस घर में गया और उसने चोर से कहा "ये बकरी का बच्चा मेरा है, आपने इसे मेरे बकरी घर से चुराया है। आप मुझे इसे लोटा दो वरना मै राजा जी से इसकी शिकायत अवश्य करूँगा और तब आपको बहुत सजा मिलेगी। चोर ने कहा यह बकरी का बच्चा मेरा है मैने इसे इसके बचपन से पाला है, जाओ जाकर राजा जी से शिकायत कर दो मै नहीं डरता हूँ।   

बकरी पालने वाला तुरंत ही राजा के दरबार में गया और राजा जी को सारी जानकारी दी।   

राजा ने कहा - सैनिको जाओ और उस बकरी चोर को पकड़कर लाओ। 

बकरी पालने वाले ने कहा - राजा जी आपका धन्यवाद !

सैनिक - राजा जी हम इस व्यक्ति को ले आये है। 

राजा ने दूसरे व्यक्ति (चोर) से पूछा - "क्या तुमने मेमने (बकरी का बच्चा) को इससे चुराया है या नहीं"
दूसरा व्यक्ति (चोर) - नहीं, राजा जी ये बकरी का बच्चा मेरा है, और मै ही इसका असली मालिक हूँ। मैने इसे बचपन से पाला है। 

बकरी पालने वाला - नहीं, राजा जी ये मेरा है। यह व्यक्ति झूठ बोल रहा है। 

राजा - अब राजा सोच में पड़ गए कि आखिर इस समस्या को कैसे सुलझाया जाये। थोड़ी देर सोच-विचार करने के बाद राजा ने एक चाल चली। राजा ने चरवाहे और चोर से कहा "न ये मेमना तुम्हे मिलेगा और न ही इस व्यक्ति को, राजा ने अपने एक सैनिक को आदेश दिया कि इस मेमने को आधा-आधा दो हिस्सों में काटकर इन दोनों में बाँट दो। इस प्रकार राजा ने अपनी युक्ति अपनाई। राजा ने पूछा क्या अब तुम दोनों खुश हो। चोर ने कहा "जैसी आपकी आज्ञा महाराज, मुझे मंजूर है"। 

चरवाहा - ये सुनकर बोला "महाराज ये मेमना आप इसे ही दे दीजिये पर इसे काटना मत। मै इसे कटते हुए नहीं देख सकता"। 

राजा - अब बात साफ़ हो गयी थी कि मेमने का असली मालिक कौन है। राजा ने जब चरवाहा का उत्तर सुना तो वह समझ गया था कि जिसने इसे बच्चे की तरह पाला होगा वो इसे कटने नहीं देगा। राजा ने सिपाहियों को आदेश दिया कि इस चोर को पकड़कर कारागार में डाल दो और चरवाहा को इस बकरी के बच्चे को दे दो। 

चरवाहा - बोला, राजा जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद न्याय करने के लिए। चरवाहे ने मेमने को लिया और अपने घर चला गया।  

बच्चों के लिए कहानी ने सीख  - 

1. हमेशा समस्या का समाधान बिना लड़ाई-झगडे के निकालना चाहिए। 
2. हमेशा सत्य की ही जीत होती है। 
3. चोरी करना अच्छी आदत नहीं होती। 


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