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अकबर और बीरबल की कहानी - बच्चो के लिए कहानियाँ (Story for Kids in Hindi)

   अकबर और बीरबल की कहानी : एक बार की बात है जब अकबर और बीरबल जंगल में शिकार के लिए जाते है। उस दिन उन्हें शिकार करते-करते काफी देर हो जाती है और वह जंगल में काफी दूर चले जाते है और रास्ता भटक जाते है। शिकार करते-करते अकबर के हाथ में चोट लग जाती है जिस कारण वह शिकार करना बंद कर देते है और एक वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए रूक जाते है। तब अकबर बीरबल से कहता है कि आज तो मेरा नसीब ही ख़राब है, तभी तो मेरे हाथ में चोट लग गयी और हम शिकार नहीं कर पाये। 

अकबर और बीरबल की कहानी - बच्चो के लिए कहानियाँ (Story for Kids in Hindi)

      बीरबल, अकबर की बात सुनकर जवाब देता है कि महाराज जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है। यह सुनकर राजा को गुस्सा आ जाता है और वह बीरबल से कहता है कि आपको हमारे चोट लगना अच्छा लगता है तो ठीक है आज रात आप जंगल में अकेले ही रहिये तब देखते है कि आपके साथ आज जंगल में जो होता है, वो अच्छा होता है कि नहीं। यह कहकर अकबर, बीरबल को अकेले जंगल में छोड़कर अपने घोड़े पर बैठकर महल की और चल देता है। रास्ते में राजा को आदिवासी लोग पकड़ लेते है और उसे अपने साथ ले जाते है। राजा को बलि देने के लिए वे लोग तैयार करते है और राजा को यह चिंता हो रही थी कि आज ये लोग मेरी बलि दे देंगे और मै मर जाऊंगा। बलि के समय जब अकबर को बलि की सेझ पर ले जाया जाता है तो आदिवासियों के गुरु अकबर की जाँच करता है कि यह व्यक्ति सम्पूर्ण तो है कही इसका शरीर अधूरा तो नहीं है तब उन्हें पता चलता है कि राजा के एक हाथ में चोट लगी है और वह घायल है, तब वह आदिवासियों से कहता है कि इसकी बलि नहीं दी जा सकती क्योकि यह घायल है यदि हम इसकी बलि देंगे तो देवी नाराज हो जाएगी। तब राजा को बीरबल की बात समझ आ जाती है कि,"'जो होता है, अच्छे ले लिए ही होता है।"

      अकबर को आदिवासी लोग छोड़ देते है और अकबर जाकर बीरबल से मिलता है और अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगता है एवं उसे पूरे किस्से के बारे में बताता है और वह कहता है कि यदि आज मेरे हाथ में चोट न लगी होती तो आज आदिवासी लोग मेरी बलि देवी को चढ़ा देते। यह सुनकर बीरबल मुस्कुराता है और अकबर से कहता है कि, "जो होता है, अच्छे ले लिए ही होता है।"

कहानी से सीख : 

1. जो होता है, अच्छे ले लिए ही होता है।
2. कभी भी अपने नसीब को जिम्मेदार नहीं ठहरना चाहिए इसके विपरीत समस्या का समाधान निरंतर खोजते रहना चाहिए।  

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